Shiv Gayatri Mantra Pdf में इस मंत्र के 24 अक्षरों का विस्तार से वर्णन किया गया है, जो भगवान शिव की उपासना का सर्वोत्तम साधन है। मंत्र में बसी शक्ति से न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मकता का संचार भी करता है।

Shiv Gayatri Mantra Pdf | शिव गायत्री मंत्र PDF : एक आध्यात्मिक साधना संग्रह

यदि आप शिव गायत्री मंत्र की शक्ति और प्रभाव को समझना चाहते हैं, तो Shiv gayatri mantra pdf आपके लिए एक अमूल्य संसाधन हो सकता है। शिव गायत्री मंत्र, भगवान शिव को समर्पित शक्तिशाली शिव मंत्र है जिसका विस्तृत विवरण, उसका अर्थ, सही विधि और इसको करने से होने वाले लाभ आपको इस PDF में मिल जायेंग। इस PDF को पढ़कर आप मंत्र के सही उच्चारण को सीख सकते हैं … Read more

om jai shiv omkara pdf भगवान शिव के विभिन्न नामों और रूपों का वर्णन करते हुए उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति को प्रगाढ़ करने का एक उत्तम माध्यम है।

Om Jai Shiv Omkara PDF | ओम जय शिव ओंकारा पीडीएफ : सम्पूर्ण लिरिक्स

ओम जय शिव ओंकारा एक प्रसिद्ध शिव आरती है, जिसे आप PDF फॉर्मेट के जरिए भी आसानी से पढ़ सकतें हैं। शिव भक्तों के लिए ओम जय शिव ओंकारा पीडीएफ एक उपयोगी संसाधन है, जो आपकी भक्ति को और अधिक सशक्त बनाता है। Om jai shiv omkara pdf में आपको ॐ जय शिव ओमकारा आरती के सम्पूर्ण लिरिक्स आपको मिल जायेंगे जिसे आप अपने पूजा में उपयोग कर सकते है। … Read more

Shiv Chalisa Aarti जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ॥ ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥१॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे ॥ हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥२॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ॥ त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥३॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ॥ त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥४॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ॥५॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ॥६॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ॥ प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥७॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ॥ पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥८॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे॥ कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ॥९॥

Shiv Chalisa Aarti | शिव चालीसा आरती : जीवन में बदलाव

Shiv chalisa aarti भगवान शिव की महिमा और शक्ति का आदर व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह आरती, शिव चालीसा के पाठ के बाद की जाती है। इस आरती का उद्देश्य भगवान शिव को अपनी भक्ति और श्रद्धा अर्पित करना है, और इसके माध्यम से उनकी कृपा प्राप्त करना है। इस Shankar chalisa में शिवजी के विभिन्न रूपों, उनकी शक्ति और उनके दिव्य गुणों का वर्णन होता है। … Read more

Shiv chalisa || दोहा || जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान॥ कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ || चौपाई || जय गिरिजा पति दीन दयाला ॥ सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥1॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके ॥ कानन कुण्डल नागफनी के ॥2॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ॥ मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥3॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ॥ छवि को देखि नाग मन मोहे ॥4॥ मैना मातु की हवे दुलारी ॥ बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥5॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ॥ सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥6॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ ॥ या छवि को कहि जात न काऊ ॥7॥ देवन जबहीं जाय पुकारा॥ तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥8॥ किया उपद्रव तारक भारी ॥ देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥9॥ तुरत षडानन आप पठायउ ॥ लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥10॥ आप जलंधर असुर संहारा ॥ सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥11॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ॥ सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥12॥ किया तपहिं भागीरथ भारी ॥ पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥13॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ॥ सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥14॥ वेद नाम महिमा तव गाई॥ अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥15॥ प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ॥ जरत सुरासुर भए विहाला ॥16॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई ॥ नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥17॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ॥ जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥18॥ सहस कमल में हो रहे धारी ॥ कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥19॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई ॥ कमल नयन पूजन चहं सोई ॥20॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ॥ भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥21॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ॥ करत कृपा सब के घटवासी ॥22॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ॥ भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥23॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ॥ येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥24॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ॥ संकट से मोहि आन उबारो ॥25॥ मात-पिता भ्राता सब होई ॥ संकट में पूछत नहिं कोई ॥26॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ॥ आय हरहु मम संकट भारी ॥27॥ धन निर्धन को देत सदा हीं ॥ जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥28॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ॥ क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥29॥ शंकर हो संकट के नाशन ॥ मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥30॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ॥ शारद नारद शीश नवावैं ॥31॥ नमो नमो जय नमः शिवाय ॥ सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥32॥ जो यह पाठ करे मन लाई ॥ ता पर होत है शम्भु सहाई ॥33॥ ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ॥ पाठ करे सो पावन हारी ॥34॥ पुत्र हीन कर इच्छा जोई ॥ निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥35॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे॥ ध्यान पूर्वक होम करावे ॥36॥ त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ॥ ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥37॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ॥ शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥38॥ जन्म जन्म के पाप नसावे ॥ अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥39॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ॥ जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥40॥ ||दोहा|| नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ॥ तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥१॥ मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ॥ अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥२॥ || श्री शिव चालीसा सम्पूर्ण ||

Shiv Chalisa | शिव चालीसा : शिव की महिमा का वर्णन

शिव चालीसा भगवान शिव की स्तुति में रचित एक लोकप्रिय भक्ति पाठ है, जिसमें उनके रूप, शक्ति, और महिमा का गुणगान किया गया है। यह 40 छंदों का संग्रह है, जिसे पढ़ने से भक्तों को शिव की कृपा प्राप्त होती है। विशेष रूप से सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन Shiv chalisa का पाठ अत्यधिक फलदायी माना जाता है। यदि आप अपने जीवन में सकारात्मकता, सुख, और शांति चाहते हैं, तो … Read more

Shiv Mantra Ringtone भगवान शिव की शक्ति, कृपा और महिमा का प्रतीक है। शिव मंत्रों का उच्चारण आपके जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, और जब भी आपका फोन बजता है, तो यह मंत्र आपके मन में भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा को जागृत करता है।

Shiv Mantra Ringtone | शिव मंत्र रिंगटोन : एक दिव्य अनुभव

अगर आप शिवभक्ति में रुचि रखते हैं और अपने फोन को भी इस भक्ति से जोड़ना चाहते हैं, तो Shiv Mantra Ringtone आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। शिवजी के मंत्रों का जाप केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि मन को शांति और ऊर्जा भी प्रदान करता है। शिव मंत्र रिंगटोन से आप हर बार जब भी आपका फोन बजे, एक दिव्य अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। इस रिंगटोन में आप … Read more

Shiv Aarti Image में भगवान शिव की उपासना के समय उनकी शक्ति, कृपा और आशीर्वाद का अनुभव किया जाता है। शिव आरती इमेज में भगवान शिव की शक्ति और भव्यता का अद्वितीय चित्रण होता है, जिसमें वे नीलकंठ, त्रिशूलधारी और सांवले रूप में दिखाई देते हैं।

Shiv Aarti Image | शिव आरती Image : एक दिव्य अनुभव

शिव आरती Image, भगवान शिव की पूजा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। Shiv aarti image न केवल भक्तों के लिए एक आदर्श आराधना का प्रतीक है, बल्कि एक पवित्र अनुभव भी प्रदान करता है। शिव आरती की छवि में, भगवान शिव की भव्य और दिव्य मुद्रा दर्शाई जाती है, जिसमें उनके तीसरे नेत्र की चमक और त्रिशूल की शक्ति को महसूस किया जा सकता है और साथ उसमे शिव … Read more

Shiv Stuti Pdf में भगवान शिव की पूजा और स्तुति के विभिन्न श्लोकों और मंत्रों का संकलन किया गया है, जो शिव की दिव्यता, शक्ति और कृपा को व्यक्त करते हैं।

Shiv Stuti Pdf | शिव स्तुति पीडीएफ : एक आध्यात्मिक यात्रा

शिव स्तुति पीडीएफ एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक सामग्री है जो भगवान शिव की उपासना और स्तुति के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है। Shiv stuti pdf में शिव की विभिन्न स्तुतियाँ, इसके श्लोक, उनके अर्थ, मंत्र और उपयोग की विधियों का वर्णन है, जो शिवभक्तों को उनकी पूजा और ध्यान में सहायक होता है। आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से, यह पीडीएफ एक प्रभावशाली संसाधन है जिसके माध्यम से भक्त … Read more

Shiv Tandav Stotram जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ॥ डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥1॥ जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ॥ धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥2॥ धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ॥ कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥ जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ॥ मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥ सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ॥ भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥5॥ ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ॥ सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥6॥ करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ॥ धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥7॥ नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत् कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ॥ निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥8॥ प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ॥ स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥9॥ अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ॥ स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥10॥ जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ॥ धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥11॥ दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर् गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ॥ तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥12॥ कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ॥ विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥13॥ निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका- निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ॥ तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥14॥ प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ॥ विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥15॥ इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् । हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥16॥ पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ॥ तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥17॥ इति श्रीरावण कृतम्शि व ताण्डव स्तोत्र संपूर्णम ॥

Shiv Tandav Stotram | शिव तांडव स्तोत्रम: महिमा और महत्व

शिव तांडव स्तोत्रम एक प्रसिद्ध और शक्तिशाली स्तुति है, जिसे भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने के लिए लिखा गया है। यह स्तोत्र, रावण द्वारा रचित माना जाता है, जिसमें भगवान शिव के तांडव रूप का वर्णन किया गया है। Shiv Tandav Stotram की लिरिक्स हिंदी में आसानी से उपलब्ध हैं और इस स्तुति का पाठ भक्तों द्वारा विशेष रूप से शिवरात्रि और सोमवार के दिन किया जाता है। … Read more

Shiv Panchakshar Stotra नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय, भस्माङ्गरागाय महेश्वराय॥ नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय, तस्मै नकाराय नमः शिवाय॥1॥ मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय, नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय॥ मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय, तस्मै मकाराय नमः शिवाय॥2॥ शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा, सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय॥ श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शिकाराय नमः शिवाय॥3॥ वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय॥ चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय, तस्मै वकाराय नमः शिवाय, यज्ञस्वरूपाय जटाधराय॥4॥ पिनाकहस्ताय सनातनाय ॥ दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै यकाराय नमः शिवाय॥5॥ पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ॥ शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते॥6॥

Shiv Panchakshar Stotra | शिव पंचाक्षर स्तोत्र : शिव की पांच अक्षरी स्तुति

शिव पंचाक्षर स्तोत्र हमारे हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण और दिव्य भक्ति स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति के लिए समर्पित है। Shiv Panchakshar Stotra का नाम ‘पंचाक्षरी’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है पाँच अक्षरों वाला। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा का अनुभव कराता है और उनके समर्पण को प्रकट करता है। इसकी रचना आदिकवि श्री शंकराचार्य द्वारा की … Read more

Shiv Stuti Lyrics ।। निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव। जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा।। निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा। दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा।। शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी। जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा।। नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम, महादेव महान भोले। सदा शिव शिव संकरा।। जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेरे चरण हो। क्षमा हो अपराध सब, जय जयति जगदीश्वरा।। जनम जीवन जगत का, संताप ताप मिटे सभी। ओम नमः शिवाय मन, जपता रहे पञ्चाक्षरा।। आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा। कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा।। कोटि नमन दिगम्बरा.. कोटि नमन दिगम्बरा.. कोटि नमन दिगम्बरा..

Shiv Stuti Lyrics | शिव स्तुति लिरिक्स : शिव महिमा की गीत

शिव स्तुति लिरिक्स एक दिव्य भक्ति गीत है जो भगवान शिव की स्तुति और उपासना के लिए प्रयोग होता है। Shiv stuti lyrics में भगवान शिव के असीम गुण, उनकी शक्ति, उनकी महिमा और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। शिव स्तुति का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करना है। इस मंत्र का नियमित पाठ भक्तों को भगवान शिव की कृपा का … Read more