Om jai shiv omkara aarti हमारे हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र भक्ति गीत है जो भगवान शिव की महिमा और उनकी शक्ति का गुणगान करता है। इस ओम जय शिव ओमकारा आरती में भगवान शिव की अनंत शक्तियों, उनके भव्य रूप, उनके त्रिशूल, तीसरी आंख और उनके तांडव नृत्य का वर्णन किया गया है।
शिव जी की आरती लिरिक्स की शुरुआत ओम जय शिव ओमकारा बोल से होती है, जो भगवान शिव के अर्चना में एक दिव्य आह्वान है। इस आरती के बोल भक्तों को भक्ति, श्रद्धा, और शांति का अनुभव कराते हैं। Om jai shiv omkara pdf डाउनलोड करके अपने मोबाइल में बिना इंटरनेट के पाठ कर सकते है। आरती को मैंने आपके लिए नीचे उपलब्ध कराया है।
आरती
ॐ जय शिव ओंकारा
स्वामी जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
इस आरती का गान या श्रवण करने से न केवल आपकी भक्ति में वृद्धि होती है, बल्कि आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
Om Jai Shiv Omkara Aarti करने की विधि
- स्वच्छता: आरती करने से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। यह पूजा की पवित्रता और स्वच्छता के लिए आवश्यक है।
- स्थान: पूजा के लिए एक साफ और स्वच्छ स्थान का चयन करे और सुनिश्चित करे की स्थान शांत हो जंहा आप अपने पूजा कर्मो में ध्यान लगा सकें। आप मंदिर में भी आरती कर सकती है।
- मूर्ति स्थापना: पूजा स्थल पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र को विधिपूर्वक स्थापित करें।
- दीपक जलाएं: शुद्ध घी या तेल का दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें। इससे पूजा के लिए एक शुद्ध वातावरण प्राप्त होता है।
- आरती सामग्री : आरती के लिए विशेष दीपक, कपूर, तिलक, अक्षत और फूल आदि सामग्री तैयार कर लें।
- आरती का पाठ: भगवान शिव के सामने दीपक और कपूर लेकर इस आरती का पाठ करें। आरती के दौरान भगवान शिव की महिमा का गुणगान करें और दीपक को घुमाएं।
- फूल अर्पण: आरती के बाद भगवान शिव को फूल और जल अर्पित करें। यह भगवान को सम्मान और श्रद्धा अर्पित करने का एक तरीका है।
- प्रसाद चढ़ाएं: पूजा के अंत में भगवान शिव को भोग या प्रसाद चढ़ाएं और इसे परिवार के सभी लोगो में वितरित करें।
- प्रार्थना: अंत में भगवान शिव का ध्यान करें और उनसे सुख, शांति, और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
- समापन: पूजा के समाप्त होने के बाद दीपक और कपूर को सुरक्षित स्थान पर रखें और पूजा स्थल को साफ करें।
आरती का विधिपूर्वक और श्रद्धा पूर्वक पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
इस आरती को करने के लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: आरती के नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है और भक्त की आत्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।
- मानसिक शांति: इस आरती को करने से मानसिक शांति और तनाव कम होता है, जिससे मन शांत और स्थिर रहता है।
- शिव की कृपा: इस आरती के नियमित पाठ से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुख और समृद्धि लाती है।
- नकारात्मक ऊर्जा: आरती करने से घर और वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और हमारे मन और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- स्वास्थ्य जीवन: यह आरती स्वास्थ्य में सुधार लाने और रोगों से मुक्ति पाने में सहायक होती है।
- प्रेम और शांति: परिवार के साथ प्रीतिदिन आरती करने से परिवार में प्रेम, समझ, और शांति बनी रहती है और आपसी सम्बन्ध मजबूत होते है।
- चिंताओं का नाश: भगवान शिव की आरती से भय, चिंता और अनहोनी की संभावनाएं कम होती हैं।
- आत्मविश्वास: पूजा और आरती के माध्यम से हम किसी भी कार्य को आसानी से कर पाते है, जिससे हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- धार्मिक भावना: आरती करने से धार्मिक और पवित्रता की भावना प्रबल होती है, जो जीवन को आध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
इस आरती का नियमित और श्रद्धा पूर्वक पाठ जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक प्रभावशाली तरीका है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का एक साधन है। ऐसे ही शिव जी के अनेक मंत्र जैसे – om jai shiv omkara lyrics in hindi, etc. का जाप करके अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकते है।
FAQ
ओम जय शिव ओमकारा आरती का पाठ कब करना चाहिए?
इस आरती का पाठ सुबह और शाम के समय किया जा सकता है, विशेष रूप से सोमवार, महाशिवरात्रि, और अन्य धार्मिक अवसरों पर इसका महत्व अधिक होता है।
क्या यह आरती किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है?
हां, इस आरती को कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इसके लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है।
क्या इस आरती का पाठ विशेष अवसरों पर अधिक महत्वपूर्ण होता है?
हां, विशेष अवसरों जैसे महाशिवरात्रि, सावन माह, और शिवरात्रि पर इसका महत्व अधिक होता है। इन अवसरों पर आरती करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
क्या इस आरती से जीवन में सुधार होता है?
हां, इस आरती का नियमित और श्रद्धा पूर्वक पाठ जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक प्रभावशाली तरीका है।
क्या इस आरती को केवल सुनने से कोई लाभ प्राप्त हो सकता है ?
हाँ , आरती में शामिल होकर आरती को सच्चे मन से सुनने से भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करते सकते है, जो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते है।

मैं रोहन पंडित एक समर्पित शिव भक्त और हरिद्वार के एक शिव मंदिर में पुजारी हूँ। मैं शिव भक्तों को शिव आरती, मंत्र, चालीसा, स्तोत्र और भजनों की व्यापक जानकारी के साथ-साथ पीडीएफ और MP3 उपलब्ध किया हूँ।