Shiv Chalisa Aarti | शिव चालीसा आरती : जीवन में बदलाव

Shiv chalisa aarti भगवान शिव की महिमा और शक्ति का आदर व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह आरती, शिव चालीसा के पाठ के बाद की जाती है। इस आरती का उद्देश्य भगवान शिव को अपनी भक्ति और श्रद्धा अर्पित करना है, और इसके माध्यम से उनकी कृपा प्राप्त करना है।

इस Shankar chalisa में शिवजी के विभिन्न रूपों, उनकी शक्ति और उनके दिव्य गुणों का वर्णन होता है। इस आरती का विधिपूर्वक और श्रद्धा से किया गया पाठ जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक प्रभावशाली तरीका है। Shiv chalisa pdf के द्वारा भी आप इसका पाठ कर सकते है। इस शिव चालीसा आरती को हमने आपके लिए को नीचे उपलब्ध कराया है।

|| ॐ जय शिव ओंकारा आरती ||

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ॥
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥१॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ॥
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥२॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ॥
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥३॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ॥
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥४॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ॥५॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ॥६॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ॥
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥७॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ॥
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥८॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे॥
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा,
ॐ जय शिव ओंकारा ॥९॥

यह आरती आपके जीवन में भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद को स्थापित करने का एक सुंदर माध्यम है। इसे गाकर या सुनकर आप भगवान शिव के आशीर्वाद का अनुभव कर सकते हैं और अपने जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन पा सकते हैं।

Shiv Chalisa Aarti करने की विधि

  1. स्नान: आरती से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थान: पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और एक शुद्ध और शांत स्थान तैयार करे।
  3. शिवलिंग या स्थापना: भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को अपने पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  4. दीपक और धूप जलाएं: शुद्ध घी या तेल का दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें। यह वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाता है।
  5. चालीसा का पाठ: सबसे पहले शिव चालीसा का पाठ करें। इसे नियमित रूप से श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें।
  6. आरती: आरती के लिए एक विशेष दीपक या कपूर का प्रयोग करें। दीपक को भगवान शिव के सामने रखते हुए, आरती गाएं। आरती के दौरान भगवान शिव की महिमा का गुणगान करें।
  7. फूल और जल अर्पित करें: आरती के बाद भगवान शिव को फूल और जल अर्पित करें।
  8. भोग लगाएं: पूजा के अंत में भगवान शिव को भोग या प्रसाद चढ़ाएं और इसे वहाँ उपास्थि सभी लोगो में वितरित करे।
  9. प्रार्थना और ध्यान: अंत में भगवान शिव से सुख, शांति, और आशीर्वाद की प्रार्थना करें और उनके दिव्य रूप का ध्यान करें।
  10. पूजा स्थल की सफाई: पूजा समाप्त होने के बाद पूजा स्थल को साफ कर लें और धुप और दीपक को किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें।

इस विधि से आरती करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इस आरती को आप shiv chalisa image के द्वारा भी कर सकते है।

आरती करने के लाभ

  • आध्यात्मिक उन्नति: इस आरती से आत्मिक उन्नति होती है और भक्त को आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
  • मानसिक शांति: इस आरती के नियमित पाठ से मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है, और मन को शांति मिलती है।
  • शिव की कृपा: यह आरती करने से भगवान शिव की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन के कष्टों को कम करता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा: पूजा और आरती के माध्यम से घर और वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है।
  • सुख-समृद्धि: इस आरती से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • स्वास्थ्य सुधार: इसके नियमित पाठ से स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • परिवरिक सुख और शांति: इस आरती को नियमित रूप से करने से परिवार में आपसी प्रेम और एकता बनी रहती है, और घर का वातावरण सुखद और शांत होता है।
  • भय और आशंकाओं का नाश: आरती करने से भय, आशंका, और अनहोनी की संभावनाएं कम होती हैं।
  • सकारात्मक ऊर्जा: पूजा और आरती के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे आत्मविश्वास और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
  • धार्मिक भावना: आरती के माध्यम से धार्मिक और पवित्रता की भावना विकसित होती है, जो जीवन को धार्मिक दृष्टिकोण को बढ़ाता है।

FAQ

क्या शिव चालीसा आरती का पाठ किसी विशेष समय पर करना आवश्यक है?

विशेष समय की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन सुबह और शाम के समय का चयन करना बेहतर होता है।

शिव जी की चालीसा आरती कितनी बार करनी चाहिए?

क्या इस आरती को नियमित रूप से करना आवश्यक है ?

क्या इस आरती सभी को सभी लोग कर है?

क्या इस आरती से जीवन में परिवर्तन आता है?

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